जानिए आखिर क्या है डायबिटीज

डायबिटीज (शुगर): प्रकार, लक्षण, कारण, और घरेलू उपचार

आज की भाग-दौड़ भरी ज़िंदगी में अस्वस्थ रहने की आदतों ने बहुत से बीमारियों को सामान्य बना दिया है जिसमे की एक बीमारी का नाम है डायबिटीज़। यदि किसी को डायबिटीज़ की बीमारी हो जाती है तो समय रहते इस बीमारी को नियंत्रित करना बहुत आवश्यक है। इसके अलावा अगर डायबिटीज़  के लक्षणों पर ध्यान नहीं दिया जाए तो यह बहुत ही गंभीर समस्या बन सकती हैं और बहुत से बीमारियों को निमंत्रण दे सकती हैं (जैसे किडनी, आंखों, हृदय, नसों तथा अन्य अंगों से संबंधित बीमारियाँ)। 


डायबिटीज़ से प्रभावित लोगों को अपने ब्लड शुगर को नियंत्रण में रखने और अपनी देखभाल करने की जरूरत है, क्योंकि आज के भाग-दौड़ भरी ज़िंदगी में खुद के लिए समय निकालना और अपनी देखभाल करना भी एक चुनौती सा होता जा रहा है।


समय पर खाना न खाना, व्यायाम न करना, दिन भर बैठ के काम करना, शारीरिक गतिविधियाँ कम होना, बाहर के फ़ास्ट और जंक फ़ूड पर निर्भर रहना, ये सब डायबिटीज़ की समस्या को बढ़ावा देने का काम करते हैं।


अपने इस लेख में हम डायबिटीज़ क्या है? इस सवाल के जवाब के साथ ही इसके कारण और लक्षण के बारे में बताने जा रहे हैं और डायबिटीज़ को नियंत्रित करने तथा उसके उपचार के बारे में भी आपको जानकारी देने के लिए प्रयास किया गया है।


डायबिटीज के प्रकार:


1. टाइप 1 डायबिटीज:


टाइप 1 डायबिटीज, जिसे आनुवंशिक (genetic) डायबिटीज के नाम से भी जाना जाता है, शरीर के रक्त में ग्लूकोज को नियंत्रित करने वाले इंसुलिन हार्मोन की कमी की एक स्थिति है, जिसमें इंसुलिन उत्पादन करने वाली कोशिकाएं (सेल्स), शरीर के इम्यून सिस्टम द्वारा नष्ट कर दी जाती हैं। परिणामस्वरूप इंसुलिन का निर्माण संभव नहीं हो पाता और व्यक्ति को इंसुलिन की इंजेक्शन की आवश्यकता होने लगती है।


टाइप 1 डायबिटीज आमतौर पर बच्चों और युवाओं में पाया जाता है, लेकिन यह किसी भी उम्र में हो सकता है। टाइप-1 डायबिटीज के लोगों को अपने खाने के समय, इंसुलिन की मात्रा, और व्यायाम के समय पर ध्यान देने की आवश्यकता होती है जिससे वह अपने ब्लड शुगर स्तर को सामान्य रख सकें।


2. टाइप 2 डायबिटीज:


टाइप 2 डायबिटीज में मरीज के ब्लड शुगर स्तर में बढ़ोतरी होती है। यह आमतौर पर 40 से अधिक के लोगों में पाया जाता है लेकिन कई बार बच्चों और युवाओं में भी देखा जाता है। टाइप 2 डायबिटीज शरीर में इंसुलिन निर्माण या उसके प्रभाव की कमी के कारण बढ़ता है ।


इंसुलिन एक हार्मोन है जो खाने के बाद शरीर में ग्लूकोज को नियंत्रित करता है। इस स्थिति में शरीर की कोशिकाएं इंसुलिन का सही रूप से उपयोग नहीं कर पाती हैं, जिसके कारण शरीर में इंसुलिन का प्रभाव (effect) कम हो जाता है तथा यह स्थिति इंसुलिन प्रतिरोध (Insulin Resistance) के रूप में जानी जाती है। यह रोग गलत खान-पान और दिनचर्या के आधार पर उत्पन्न होता है, या बढ़ता है ।



डायबिटीज़ (शुगर) के लक्षण:


सामान्य लक्षण:


1.बार-बार पेशाब आना

2.अत्यधिक प्यास लगना

3.वजन का कम होना

4.थकान महसूस होना

5.धुंधला दिखना


अतिरिक्त लक्षण:


1.घाव धीरे-धीरे भरना

2.बार-बार होने वाले संक्रमण

3.हाथ-पैर में सूजन आना या सून पड़ना

4.अधिक भूख लगना


डायबिटीज (शुगर) के कारण:


टाइप-1 डायबिटीज के कारण:


इम्यून सिस्टम का अस्थिर हो जाना:

Type-1 डायबिटीज का मुख्य कारण होता है जब इम्यून सिस्टम शरीर के अंदर इंसुलिन को उत्पन्न करने वाली बीटा कोशिकाओं को नष्ट कर देती है। इसे ऑटोइम्यून विस्थापन के रूप में जाना जाता है।

संक्रमण (Infection):

कई बार संक्रमण भी Type-1 डायबिटीज का कारण बन सकता है।

 

आनुवंशिकता (Heredity):

Type-1 डायबिटीज का एक प्रमुख कारण आनुवंशिकता भी हो सकता है, जिसमें परिवार के किसी सदस्य को ये रोग होने का इतिहास हो।

 

आयु(Age):

उम्र भी एक कारण हो सकता है, जबकि यह किसी भी उम्र में हो सकता है लेकिन सबसे ज्यादा खतरा बच्चे, किशोर और वयस्कों में होता है।

 

टाइप-2 डायबिटीज़ के कारण:

मोटापा:

  वजन का अधिक बढ़ना भी डायबिटीज़ टाइप-2 का कारण होता है। अधिक वजन के कारण शरीर की कोशिकाओं को इंसुलिन के प्रति प्रतिरोध बढ़ जाता है जो डायबिटीज़ के विकास को बढ़ावा देता है।

 

इंसुलिन प्रतिरोध (रेजिस्टेंस):

नियमित शारीरिक गतिविधियों की कमी, मोटापा और आनुवंशिक प्राकृतिक प्रवृत्ति के कारण हो सकता है।

आनुवंशिक कारण:

 टाइप-2 डायबिटीज़ का भी एक मुख्य कारण आनुवंशिक हो सकता है, यानी यह माता-पिता या परिवार के किसी सदस्य का इतिहास हो सकता है। यदि परिवार में किसी को डायबिटीज़ है तो यह व्यक्ति के डायबिटीज़ के जोखिम को बढ़ा सकता है।

आयु:

यह खतरा मुख्यतः 40-45 आयु से ज्यादा के लोगों में देखी जाती है।

जेस्टेशनल डायबिटीज़:

गर्भावस्था के दौरान यदि किसी महिला को जेस्टेशनल डायबिटीज़ हुआ हो।

ये सभी कारण टाइप-2 डायबिटीज़ के विकास में सहायक हो सकते हैं। 


टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज में अंतर


डायबिटीज़ के इलाज


डायबिटीज़ के इलाज के लिए कुछ महत्वपूर्ण उपाय हैं, जिन्हें आप अपना सकते हैं। डायबिटीज़ के इलाज के लिए सबसे आवश्यक है कि आप अपने दिनचर्या में सही परिवर्तन करें तथा अपनी देखभाल करें। कुछ तथ्य नीचे दिए गए हैं जिनकी सहायता से आप अपने दिनचर्या में थोड़ा सा परिवर्तन करके डायबिटीज़ को नियंत्रित कर सकते हैं:


भोजन: अपने भोजन में शक्कर, मैदा वाले फ़ास्ट फ़ूड और जंक फ़ूड के सेवन पर नियंत्रण रखें, आपको फल, सब्जियाँ, पूरे अनाज, दूध और दही जैसे पौष्टिक खाद्य पदार्थों को शामिल करना चाहिए।


व्यायाम: यदि आप डायबिटीज को नियंत्रित करना चाहते हैं तो यह आवश्यक है कि आप नियमित रूप से व्यायाम करें। चलना, योग, स्विमिंग और एरोबिक्स जैसे व्यायाम से आपको काफी लाभ मिलेगा।



वजन कम करें: वजन कम करने से शरीर में इंसुलिन प्रतिस्पर्धा (Competition) में सुधार होगा, यदि आपका वजन ज्यादा है तो डायबिटीज में आपको वजन कम करने की आवश्यकता है। इसके लिए आप एक्सरसाइज़ और अपने आहार पर ध्यान दे सकते हैं तथा किसी डायटीशियन या न्यूट्रिशनिस्ट से सलाह ले सकते हैं।


नियमित चेकअप: डायबिटीज रोग में अपना ध्यान रखना बहुत महत्वपूर्ण है। आहार एक्सरसाइज़ के साथ-साथ आपको नियमित रूप से चेकअप कराना चाहिए।


उपरोक्त उपायों के अलावा आपको अपने डॉक्टर से सलाह लेना चाहिए, डायबिटीज की उचित इलाज से आप अपने स्वास्थ्य को सुधार सकते हैं तथा सामान्य और स्वस्थ जीवन का आनंद ले सकते हैं।

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डायबिटीज के घरेलू उपचार:



यहाँ डायबिटीज के कुछ घरेलू उपचार बताए गए हैं जो डायबिटीज (Sugar) को कंट्रोल करने में आपकी मदद कर सकते हैं।


करेले का उपयोग: करेले में विटामिन सी, फोलेट और अन्य पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो शुगर को नियंत्रित करने में आपकी सहायता करते हैं तथा करेले में एंटी-डायबिटिक गुण भी होते हैं जो डायबिटीज प्रबंधन में काफी योगदान देते हैं, करेला ब्लड शुगर स्तरों को नियंत्रित करने और इंसुलिन की प्रोडक्शन को बढ़ाने में मदद करता है। करेले का सेवन, करेले का जूस, सब्जी, करेले का पाउडर जैसे विभिन्न तरीकों से किया जा सकता है, करेले को नीम के साथ भी उपयोग कर सकते हैं जो काफी फायदेमंद होता है।


जामुन का उपयोग: जामुन डायबिटीज के लिए फायदेमंद हो सकता है। इसका ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता है और ब्लड शुगर स्तरों को नियंत्रित करने में मदद करता है। जामुन में नेचुरल एंटीडायबिटिक गुण होते हैं और डायटरी फाइबर भी पाया जाता है, जो ब्लड शुगर स्तरों को नियंत्रित करने में मदद करता है। इसके साथ ही, जामुन पैंक्रियास की सुरक्षा करता है और इंसुलिन प्रोडक्शन को बढ़ा सकता है।



दालचीनी का उपयोग: दालचीनी एक प्रचलित मसाला है जो खाने के स्वाद को बढ़ाने के साथ-साथ कई स्वास्थ्य लाभ भी प्रदान करता है। यह शुगर को नियंत्रित करने में सहायक होता है तथा खून में ग्लूकोज के स्तर को नियंत्रित करता है।

दालचीनी इंसुलिन के प्रभाव को बढ़ाता है, इसमें प्राप्त Antimicrobial तत्व डायबिटीज के रोगियों के लिए महत्वपूर्ण है। इससे विशेष रूप से डायबिटीज से संबंधित त्वचा संक्रमण और विकार को कम किया जा सकता है। दालचीनी को काढ़े, दालचीनी चाय या अपने भोजन में उपयोग कर सकते है 


मेथी दाना का उपयोग: डायबिटीज के लिए एक प्रसिद्ध घरेलू उपाय है। मेथी दाना के सेवन से ब्लड शुगर स्तर को नियंत्रित करने में मदद मिलती है। यह डायबिटीज प्रबंधन में सहायक होता है और इंसुलिन के समर्थन को भी बढ़ा सकता है। मेथी दाना को भिगोकर खा सकते हैं या मेथी दाना पाउडर, मेथी दाना का पानी भी उपयोग कर सकते हैं।


आंवला का उपयोग: आंवला, या Indian gooseberry, बहुत सारे स्वास्थ्य लाभ प्रदान करने वाला फल है। डायबिटीज के लिए भी आंवला बहुत फायदेमंद होता है। आंवला का रस नियमित रूप से सेवन करने से डायबिटीज के स्तर को नियंत्रित करने में मदद मिलती है।

आंवला का पाउडर के रूप में या, मुरब्बा या, चूरन के रूप में सेवन कर सकते हैं।


एलोवेरा का उपयोग: एलोवेरा, या ग्वारपथा, एक प्राकृतिक औषधि है जिसकी कई स्वास्थ्य लाभ हैं। डायबिटीज के लिए भी एलोवेरा बहुत लाभकारी है, एलोवेरा को भी कई तरीकों से डाइट में शामिल किया जा सकता है, जैसे:

एलोवेरा का रस, एलोवेरा पाउडर, तथा मार्केट में एलोवेरा जूस भी उपलब्ध हो जाते हैं।


आखिरी बात:



डायबिटीज को नयी सोच और लाइफस्टाइल में परिवर्तन कर के नियंत्रित किया जा सकता है। स्वस्थ खाने, व्यायाम करने स्ट्रेस कम करने, नियमित जाँच कराने से हम डायबिटीज के प्रभावों को कम कर सकते हैं। संक्षेप में कहे तो डायबिटीज एक गंभीर समस्या है, फिर भी इसे सही खान-पान, व्यायाम, लाइफस्टाइल में परिवर्तन तथा सही उपचार से नियंत्रित कर सकते है तथा सामान्य और स्वस्थ जीवन जी सकते हैं। 



अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

Goodveda Diabetes Reversal Program क्या है ?

गुडवेदा डायबिटीज़ रिवर्सल प्रोग्राम, एक ऐसा प्रोग्राम है, जो डायबिटिक व्यक्ति के जीवन शैली(lifestyle), खान-पान(diet) में कुछ आवश्यक परिवर्तन करके तथा आयुर्वेदिक  दवाओं की सहायता से  डायबिटीज को manage करने और रिवर्स करने में सहायता करता है। 

Goodveda Diabetes Reversal Program कैसे काम करता है?

यह प्रोग्राम एक ऑनलाइन प्रश्न-उत्तर के साथ शुरू होता है जो आपकी वर्तमान स्थिति(present situation), चिकित्सा इतिहास(medical history) और जीवन शैली(lifestyle) को समझने में मदद करेगा। आपके जवाबों के आधार पर, आपके लिए एक विशेष योजना(plan) तैयार किया जाता है जिसमें आपके आहार(diet) और दिनचर्या(lifestyle) में आवश्यक परिवर्तन के साथ स्वास्थ्य सप्लीमेंट्स (health supplements) का संयोजन(combination) शामिल होगा।

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